Saturday, October 26, 2019

साइड लोअर का सुख


ट्रेन में एसी का सफर न तो मेरी जेब को मुफीद बैठता है, न मन को ही यह भाता है। वहीं दिमाग का अपना तर्क होता है कि जब ट्रेन के सारे डिब्बे एक साथ ही मंजिल पर पहुंचाएंगे तो फिर एसी फर्स्ट, सेकंड की तो छोड़िए, थर्ड एसी में भी शयनयान श्रेणी की तुलना में तीन गुना अधिक आर्थिक बोझ क्यों उठाया जाए। ऐसे में सफर जनित परेशानियां जब तक मेरी सहनशक्ति की सीमा में होती हैं, मैं स्लीपर क्लास में ही रिजर्वेशन कराता हूं। इस बार भी स्लीपर का ही रिजर्वेशन था, लेकिन कल शाम करीब सात बजे रेलवे का एसएमएस आया, जिसमें थर्ड एसी का कोच नंबर और बर्थ का जिक्र था। बुकिंग वाला एसएमएस खंगाला तो पीएनआर नंबर मेरा वाला ही था। इसके बाद भी भरोसा नहीं हुआ तो खुद को दिलासा देने के लिए भारतीय रेलवे की वेबसाइट पर जाकर चेक किया तो पता चला कि पहले वाला रिजर्वेशन अपग्रेड हो गया है। न जाने कितने दिनों से यह नियम है, लेकिन शायद अपना भी नंबर आ ही गया था। इसके बाद भी धुकधुकी लगी थी कि कहीं "आधा छोड़ पूरे को धाए, पूरा मिले न आधा पाए " वाली नौबत न आ जाए। खैर, रेलवे महकमा भी शायद मेरी मनोस्थिति को भांप गया था, तभी तो ट्रेन की रवानगी के थोड़ी ही देर बाद टीटीई आ गया और उसने टिकट अपग्रेड होने की तस्दीक कर दी। हां, तो मैंने साइड लोअर बर्थ से बात शुरू की थी, लेकिन आदत से लाचार होने के बाद एक बार फिर बहक गया। एसी कोच में सफर के दौरान मुझे सबसे बुरा लगता है ज्यादातर यात्रियों का लंबी तानकर पड़े रहना। लगता है जैसे सफेद चादर ओढ़े मरीज आईसीयू में बेड पर लेटे हों। संकोच के मारे सहयात्री भी उनसे उठने को नहीं कहते। ऐसे में मेरे जैसा मुसाफिर मन मारकर अपनी नियति को भोगते हुए मन ही मन दुआ करता रहता है कि कब सफर पूरा हो और इस यातना से मुक्ति मिले। ऐसे में अपने वश में हुआ तो मैं लोअर बर्थ का ही रिजर्वेशन लेता हूं। इसमें अपनी मर्जी से उठने-बैठने की सुविधा रहती है। अपनी ही मानसिकता का कोई सहयात्री जो मिडिल बर्थ न खोले जाने से परेशान हो चुका होता है, उसे अपनी सीट पर बैठने की मोहलत देने से परोपकारी होने का सुख भी महसूस होता है। रेलवे ने रिजर्वेशन अपग्रेड करने के दौरान मेरी इस भावना का ध्यान रखा और एस-7 में साइड लोअर बर्थ नंबर 71 की जगह बी -2 में साइड लोअर बर्थ नंबर 23 मुझे अलॉट कर दी। हालांकि ट्रेन अब तक करीब साढ़े तीन घंटे लेट हो चुकी है, देखना है आगे टाइम मेकअप करती है या फिर देरी का सिलसिला ही जारी रहता है। 23 July 2019 Lucknow

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