Saturday, October 26, 2019

पर उपदेश कुशल बहुतेरे


तुलसी बाबा ने वर्षों पहले यह अर्द्धाली लिखी थी, लेकिन आज भी इसकी प्रासंगिकता ज्यों की त्यों है। रोजमर्रा के जीवन में तो इससे सामना होता ही है, ट्रेन में सफर के दौरान अमूमन हर बार इसका खास अनुभव होता है। खासकर जब कोई यात्री बिना रिजर्वेशन के स्लीपर कोच में घुस आए या फिर जिसका टिकट कन्फर्म नहीं हो, तब वह दया, करुणा, मानवता के इतने उदाहरण गिनाने लगता है कि सहज ही उसके महान संत होने का अहसास होता है। इस बार भी जयपुर से लखनऊ आते वक्त कुछ ऐसा ही हुआ। जयपुर-लखनऊ त्रिसाप्ताहिक ट्रेन राइट टाइम चल रही थी। रात में मिडिल बर्थ पर सोने की वजह से पीठ अकड़ सी गई थी। सुबह करीब आठ बजे ट्रेन जब कानपुर पहुंची तो सोचा कि अब लोअर बर्थ पर बैठकर पीठ सीधी करने के साथ ही कुछ नाश्ता-पानी भी करूंगा। मगर, इसी बीच दो सफेदपोश बुजुर्गों ने आकर डेरा जमाया और फिर आवाज देकर एक महिला समेत तीन और हमउम्रों को भी बुलाकर बिठा लिया। उनकी उम्र का लिहाज करते हुए मैं खिड़की साइड में सिकुड़ा हुआ था। पहनावे और व्यवहार से सभी संभ्रांत लग रहे थे। अब तक उनकी बतकही शुरू हो चुकी थी। वैसे तो सभी बातूनी थे, लेकिन सबसे अधिक मुखर बुजुर्ग ने विदेशों का उदाहरण देना शुरू कर दिया कि जापान में लोग सड़क पर गंदगी नहीं फैलाते। लंदन में ट्रेन की सफर के दौरान किस हद तक अनुशासन का पालन करते हैं। यहां तक कि घरमें टेलीविजन देखने के दौरान लोग ध्यान रखते हैं कि उसकी आवाज से पड़ोसियों की शांति में खलल न पड़े। लेकिन आत्म अनुशासन की इन पाबंदियों से दूर-दूर तक का इनका कोई लेना-देना नहीं था। तीस साल पहले छह रुपये की एमएसटी से लेकर आज के जमाने में सबसे अच्छे एसी तक पर उनकी बहस जारी थी। मेरे साथ आ रहे सहयात्रियों में से दो ने ऊपर वाली बर्थ पर फैल जाने में भलाई समझी और दो सहयात्रियों ने उन तथाकथित एमएसटी धारियों से अखबार लेकर शायद उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। ऐसे लोगों के व्यवहार से कुढ़ने के बजाय मैंने पूरी तरह से अनदेखी करना ही उचित समझा। बर्थ पर बैठना तक मुश्किल हो रहा था, सो नाश्ता का कार्यक्रम मैंने मुल्तवी कर दिया और नया ज्ञानोदय के हालिया अंक का पारायण करने में ही भलाई समझी। ट्रेन भी शायद उनका मंतव्य समझ चुकी थी और जल्दी से जल्दी उनसे निजात पाकर नए यात्रियों को लेकर अगले सफर पर निकलने को उतावली थी। समय से गंतव्य आने पर मैंने भारतीय रेलवे का धन्यवाद किया और अगली मंजिल के लिए चल पड़ा। 30 March 2018 Lucknow

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