Saturday, October 26, 2019

पिता


पिता पिता कब सो पाते हैं चैन की नींद बुनते रहते हैं संतान के लिए सपने और उन सपनों को सच करने के लिए खुद को तपाते-खपाते रहते हैं रात-दिन इस बीच कब खो जाता है खुद का अस्तित्व अहसास ही कहां हो पाता है आखिर बीज अपना अस्तित्व मिटाकर ही तो वृक्ष बन पाता है । 05 June 2018 Lucknow

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