Saturday, October 26, 2019

खुशियों का सोता छिपा है जहां...


सुबह-सुबह उसका फोन आया, लेकिन आवाज काफी बुझी हुई थी। पिछले दो-ढाई महीने से जब भी उससे बात होती, उसकी खुशी मोबाइल के स्पीकर से होकर मेरे कानों में अमृत घोलती सी महसूस होती थी। जबसे बेटे की शादी तय हुई थी, उसका उत्साह सातवें आसमान पर था। जब भी बात होती तो कभी बैंड-बाजे तो कभी हलवाई, कभी टेंट वाले तो कभी गाड़ियों वाले से साटा-बयाने की चर्चा करता। कभी बहू के लिए गहनों की खरीदारी तो कभी बहन-बेटियों, रिश्तेदारों को देने के लिए कपड़ों की शॉपिंग ही बातचीत के विषय होते थे। ऐसे में आज उसकी बुझी हुई आवाज सुनने के बाद मेरे मन में अज्ञात आशंकाएं सिर उठाने लगी थीं। हिम्मत करके पूछा कि सब कुछ ठीक तो है? उसने कहा-सब ठीक है, लेकिन बेटा और बहू के जाने से घर की रौनक ही गायब हो गई है। मेरी जान में जान आई। बोला-भाई, नए जमाने के बच्चे हैं। दोनों ही नौकरी करते हैं। ढाई-तीन हफ्ते रुके। यह क्या कम है। आजकल एमएनसी में इससे अधिक छुट्टी मिलती कहां है। फिर वे कोई बहुत दूर नहीं गए हैं। महज एक कॉल की दूरी पर हैं। जब मन हो, बात कर लिया करो। अब तो जियो की मेहरबानी से बहुत ही सस्ते में वीडियो कॉलिंग की सुविधा भी है। फिर क्या दिक्कत है? लगे हाथ मैंने पूछ लिया, बहू से पिछले एक हफ्ते में कितनी बार बात की है? वह जैसे चौंक उठा। बोला, बहू से क्या बात करूं? हां, बेटे से रोज ही उसके ऑफिस से लौटने के बाद रोज ही बात होती है। उससे ही दोनों का हाल पता चल जाता है। मैंने कहा, बेटे के जन्म के समय तुम्हारे घर में जैसा उत्सव मना था, उसकी यादें आज भी मेरे मन में ताजा हैं। उसके तीसेक साल बाद बेटे की शादी में ही तेरे घर में खुशियों की ऐसी बरसात हुई। बहू के आगमन की आहट से तुम्हारे आंगन में रंगीनियां बिखरने लगी थीं...और उसी बहू से बात करने में इतना संकोच। तुम्हें सोचना चाहिए कि जो लड़की अपने मां-बाप, घर-परिवार को छोड़कर तुम्हारे परिवार का हिस्सा बनी है, उसके मन का अकेलापन दूर करने की जिम्मेदारी तुम्हारी भी है। बाकी चीजों में मॉडर्न बनते हो और बहू से बात करने में इतनी झिझक। अरे, जिस तरह अपनी बेटी से बात करते हो, वैसे ही बहू से भी बात करो। तभी तो उसके मन में तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के प्रति अपनापन के भाव जगेंगे। और तुम्हारे दिल से भी बेटे-बहू के दूर रहने का अहसास खत्म हो जाएगा। 20 May 2018 Lucknow

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