Wednesday, April 14, 2010

बंद पिंजरे में तोता ने दिया अंडा!

टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में आजकल टेलीविजन पर तरह-तरह की अविश्वसनीय खबरों का प्रसारण आम बात है। कई बार तो इन पर भरोसा करना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन प्रिंट मीडिया में काफी हद तक ऐसी खबरों से परहेज किया जाता है। बुधवार १४ अप्रेल की रात इंटरनेट पर दैनिक जागरण देख रहा था तो बिहार के समस्तीपुर जिले की खबरों में यह खबर दिखी। १० अप्रेल को यह खबर नेट पर डाली गई है और संभव है ९ या १० अप्रेल को बिहार से प्रकाशित दैनिक जागरण में प्रमुखता से छपी भी हो। आशा है,आप भी इस खबर से अचंभित हुए बिना नहीं रहेंगे। चूंकि इंटरनेट का विस्तार बहुत ही व्यापक है, संभव है समस्तीपुर में जिस स्थान की यह खबर है, उसके आसपास के किसी पाठक की नजर भी इस पर पड़े और इसकी सत्यता का राजफाश हो सके। प्रस्तुत है जस की तस दैनिक जागरण पर प्रकाशित खबर-


समस्तीपुर। आश्चर्य परंतु सत्य का दावा। दस वर्षो से पिंजरे में बंद एक तोते ने अंडा देकर लोगों को हैरत में डाल दिया है। इस कौतूहल को अपनी आंखों से देखने के लिए लोगों की भीड़ शुक्रवार को काशीपुर मोहल्ले में रहने वाले संवेदक मुरारी सिंह के आवास पर लगी रही। शहर के कृष्णापुरी मोहल्ला में रहने वाले श्री सिंह का कहना है कि इस पालतू तोता करीब दस वर्ष पूर्व उनके घर आया था। बच्चों ने उसे पिंजरे में बंद कर दिया। तब से वह पिंजरे में ही कैद है। तीन दिन पूर्व इस तोते ने पिंजरे में ही एक अंडा दिया। जिसे घर के किसी बच्चे ने नष्ट कर दिया था। जानकारी मिलने पर वे खुद आश्चर्य में पड़ गए थे। इसी बीच शुक्रवार को तोते ने फिर से एक अंडा दिया। यह पिंजरे में मौजूद है। बिना किसी दूसरे तोते के संपर्क का अंडा देना सबको आश्चर्य में डाल रहा है। दूसरी ओर इंडियन बर्ड कंजरवेशन नेटवर्क के स्टेट काडिनेटर अरविंद मिश्रा का कहना है कि बिना जोड़े का यह संभव नहीं है। अंडा देने से पूर्व पक्षी कई चरणों से गुजरता है। इसी तरह पक्षी विशेषज्ञ, बोटेनिस्ट सह एमआरएम कालेज, दरभंगा के प्राचार्य विद्या कुमार झा ने भी दावे को सिरे से खारिज किया है। पशुपालन पदाधिकारी डा. एके सिंह भी इससे इनकार करते हैं। वैसे उनका कहना है कि अंडा की जांच किये बिना कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा।