इस नवरात्र पर मैंने मां भगवती की महिमा का गुणगान करने के बजाय शक्तिस्वरूपा महिलाओं की कहानी सामने लाने की छोटी-सी कोशिश की। दुर्गा सप्तशती में ऐसा वर्णन आता है कि महाबलशाली महिषासुर और अन्य राक्षसों से मुकाबला करने के लिए सभी देवताओं ने मां दुर्गा को अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। मातेश्वरी खुद तो शक्ति का साक्षात अवतार थीं ही, सो उन्होंने राक्षसों का संहार कर भक्तों को खुशहाली का वरदान दिया।
मैंने जिन महिलाओं की चर्चा की, उनके जीवन में आई परेशानियां भी किसी राक्षस से कम नहीं थीं। फिर इनके पास न तो खुद की दैवी शक्ति थी और न ही शक्तिशाली देवताओं का संबल ही। इसके बावजूद उन्होंने विपरीत परिस्थितियों का बखूबी सामना किया। जीवन की कंटकाकीर्ण राह को आसान बनाकर परिवार को एक मुकाम पर पहुंचाया। मुझे संतोष है कि इनके जीवन गाथा की प्रस्तुति को बड़ी संख्या में मेरे अपनों ने सराहा।
आईना यदि छोटा हो तो अपना ही चेहरा मुश्किल से नजर आ पाता है, लेकिन जब आईने का आकार बड़ा हो तो दर्जनों लोगों का अक्स उसमें समा जाता है। यह दुनिया भी कुछ ऐसी ही है। हमारे जीवन में जो कुछ घटता है, जरूरी नहीं उसे इकलौते हम ही भोग रहे हों। एक ही समय पर संसार में अलग-अलग स्थानों पर दर्जनों लोग ठीक उसी हालात का सामना कर रहे होते हैं। बात दीगर है कि अपनी पहचान और पहुंच का दायरा सीमित होने के कारण हम उसकी अनुभूति नहीं कर पाते।
शक्ति स्वरूपा सीरीज का हाल भी कुछ ऐसा ही है। आप इसे जिस व्यक्ति विशेष की कहानी समझ रहे हों, यह किसी और का जीवन वृत्तांत भी हो सकता है। भगजोगनी की पल भर के लिए चमकने वाली क्षीण रोशनी की तरह मेरी यह कोशिश यदि किसी के अंधेरे जीवन में आशा के प्रकाश का संचार कर सकेगी, तो मैं मानूंगा कि मेरा प्रयास सार्थक रहा।
29 September 2017
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