Thursday, October 19, 2017

हिम्मत से बदली किस्मत


शक्ति स्वरूपा - 5 माता-पिता संतान के बेहतर भविष्य के लिए अपना वर्तमान दांव पर लगा देते हैं, अपनी सुख-सुविधाएं भूल जाते हैं, लेकिन किसी की किस्मत लिखना तो विधाता के हाथ में ही है। चार बहनों में तीसरे नंबर की शालिनी पढ़ने में काफी तेज थी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिताजी ने अच्छे-खासे परिवार में शादी कर दी। आज से 20-25 साल पहले बिहार की जो शासन व्यवस्था थी, उसमें मेधावी होने के बावजूद नौकरी पाना नामुमकिन ही था। ऐसे में शालिनी के पति दूसरे राज्य के बड़े शहर में जाकर प्राइवेट नौकरी करने लगे। कड़ी मेहनत के बावजूद कमाई इतनी नहीं होती कि जरूरतें पूरी हो सकें। इस बीच दो बच्चों की किलकारियों से आंगन गुलजार हुआ, लेकिन उनकी उम्र बढ़ने के साथ चुनौतियां भी बढ़ती जा रही थीं। शालिनी गांव में रहते हुए चाहकर भी अपनी प्रतिभा के सहारे परिवार की बेहतरी के लिए कुछ कर पाने में खुद को असहाय पा रही थी। अब तक बच्चे भी प्राइमरी की सीमा पार कर चुके थे। इस बीच शालिनी के दिमाग में आया कि वह यदि पति के साथ महानगर में जाकर रहे तो वहां उसे आसानी से टीचर की नौकरी मिल जाएगी। उसने बच्चों के बेहतर भविष्य का हवाला देते हुए श्वसुर के सामने यह प्रस्ताव रखा, तो वे तैयार हो गये। अगली छुट्टी में पति घर आये तो शालिनी ने दोनों बच्चों को लेकर उनके साथ महानगर का रुख कर लिया। वहां थोड़े दिनों की भागदौड़ के बाद उसे पड़ोस के ही स्कूल में नौकरी मिल गई। उसके पढ़ाने का तरीका बच्चों को इतना पसंद आया कि अच्छी-खासी ट्यूशन भी मिलने लगी। आमदनी बढ़ी तो अपने बच्चों की बेहतर पढ़ाई की राह आसान हो गई। शालिनी की कर्मठता का ही कमाल है कि बेटी प्रोफेशनल डिग्री लेने के बाद अच्छी-खासी जॉब में है और बेटा भी पढ़ाई में सफलता के नित नए झंडे गाड़ रहा है। इस तरह शालिनी ने साबित कर दिया है कि हिम्मत की जाए तो किस्मत को बदला जा सकता है । 26 September 2017

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