शक्ति स्वरूपा - 7
इंसान जब किसी बड़े मकसद के लिए खुद को समर्पित कर देता है, तो पारिवारिक दायित्व उसे बहुत छोटे लगने लगते हैं। उसकी अनदेखी करते हुए कई बार वह उससे विमुख भी हो जाता है। आभा के पिताजी के साथ भी कुछ ऐसा ही था। मजदूरों की समस्याओं का समाधान उनका इकलौता सरोकार था। इसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे। उनकी आवाज की धमक राज्य और देश की शीर्ष सत्ता तक पहुंचने लगी थी।
हालांकि मजदूरों का वर्तमान संवारने के महान अनुष्ठान में तल्लीन होने की वजह से वे आभा और उसके भाई के भविष्य पर अपेक्षित ध्यान नहीं दे सके। आभा की पढ़ाई आधी-अधूरी ही हो पाई। उन्होंने उसकी शादी अच्छे-खासे जमींदार परिवार में कर दी। संबंधों के सूत्र जोड़े जाने के समय वर पक्ष और वहां का समाज लड़के को महिमामंडित करना ही अपना कर्तव्य समझते हैं, बुराइयों के बारे में बताकर कोई अपयश का भागी नहीं बनना चाहता। शादी के बाद आभा ने देखा कि पति का अनुशासन से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। घर के कामकाज से बेफिक्र हमेशा अपनी मस्ती की धुन में खोया रहता। परेशान आभा ने पिता से अपने पति को कहीं रोजगार दिलाने की गुहार लगाई, ताकि उसके दाम्पत्य जीवन की नैया को किनारा मिल सके।
पिता के प्रयास और परमपिता की कृपा से आभा का अरमान पूरा हो गया। वह पति के साथ शहर आ गई। नई जगह पर पति ने भी नए सिरे से जिंदगी संवारने की शुरुआत की। सब कुछ भुलाकर खुद को नौकरी में झोंक दिया। अब तक एक बेटे और एक बेटी से आंगन गुलजार हो चुका था। अनुशासनहीनता का दंश भुगत चुकी आभा ने शुरू से ही बच्चों को हर पल अनुशासन के दायरे में रहने की ऐसी सीख दी जिसकी छाप उनके रिपोर्ट कार्ड में दिखती। दोनों ही पढ़ाई में काफी होशियार निकले और प्रोफेशनल डिग्री लेने के बाद अच्छी-खासी नौकरी कर रहे हैं।
28 September 2017
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