कल एक चिकित्सक मित्र से मिलने गया तो वहां उच्च सरकारी सेवा के अंतिम पायदान पर खड़े एक महानुभाव के भी दर्शन हुए। बातों ही बात में मीडिया की भूमिका या कहें कि उपादेयता पर चर्चा छिड़ी तो उक्त महानुभाव ने बड़े पते की बात की। आप भी गौर फरमाएं। उन महानुभाव का कहना था कि किसी भी काम में सफलता के लिए 'ढंग` और 'ढोंग` का समन्वय जरूरी था। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति में कितनी ही योग्यता क्यों न हो, यदि तथाकथित 'ढोंग` का सहारा लेकर उसने अपने चारों ओर विशेष आभामंडल नहीं बना रखा है तो उसकी ख्याति एक कमरे में ही सिमटकर रह जाएगी। हालांकि उनका यह भी कहना था कि इस 'ढोंग` के साथ यदि उचित मात्रा में योग्यता का समन्वय नहीं है तो भी यह 'ढोंग` अथ च चमत्कार अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला।
इस पते की बात से मुझे किसी महान व्यक्ति की यह उक्ति सहसा ही याद आ गई - आप काफी आदमी को कुछ समय के लिए बेवकूफ बना सकते हैं और कुछ आदमी को काफी समय के लिए बेवकूफ बना सकते हैं। काफी आदमी को काफी समय के लिए बेवकूफ बनाना मुश्किल होता है, नामुमकिन भी यदि आप राजनेता नहीं हैं, क्योंकि राजनेता तो कुछ भी कर सकते हैं।
कितने कमरे!
6 months ago
3 comments:
Main ek sarkari karmachari hoon aur aapki bat solah ane sach hai. Sachmuch us mahanubhav ne apani poori sarkari jindagi ka nichor apke samne rakh diya. uspar aapne jo kisi mahan ki ukti pesh ki, sone pe suhaga.
Wakai aap 'Dil se Dil ki Bat' karte hain.....Rajani Ranjan,Assistant Director, Ministry Of Urban Development, New Delhi.
bahut khub .kamaal ka mantra diya hai safalta ka............
kripya samay milne par loc-lineofcartoon.blogspot.com ki jagah solidpunch.blogspot.com kar lenve.
dhanyawad
aapka blog meri bloglist me bhi shamil ho gaya h badhai ho!
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