Sunday, June 7, 2009

न क्यू का झंझट, न बाबू से झिकझिक


अभी पिछले दिनों बहुत ही जल्दबाजी में ट्रेन यात्रा का शिड्यूल बनाना पड़ा। ऐसे में महज एकाध दिन में जयपुर से पटना की ट्रेन में आरक्षण मिल पाना बहुत ही मुश्किल था। वैसे अमूमन जयपुर से पटना के लिए साप्ताहिक ट्रेनें ही चलती हैं और उनमें बिल्कुल ही जगह नहीं थी। सुबह आठ बजे आरक्षण खिड़की खुलते ही तत्काल कोटे में टिकट बुक कराने पहुंचा तो बुकिंग क्लर्क ने सीट उपलब्ध नहीं होने की बात कही। उसका कहना था कि सीमित सीटें होती हैं और एक साथ हजारों काउंटर खुल जाते हैं, ऐसे में टिकट मिलना मुश्किल ही होता है। उससे कोई और विकल्प सुझाने को कहा तो उसका रुख तो नकारात्मक था ही, पीछे क्यू में खड़े यात्री भी अपनी बारी में देरी होने से झल्लाने लगे। ऐसे में किसी मित्र ने भारतीय रेलवे की वेबसाइट www.irctc.co.in पर अपना अकाउंट खोलकर वहां इन्क्वायरी करने और आरक्षण कराने की सलाह दी। उसके लिए किसी बैंक में अपना खाता होना जरूरी था और डेबिट कार्ड भी। वाकई यह सलाह काम की थी। आज के समय में हममें से अधिकतर के पास बैंक अकाउंट और डेबिट कार्ड अक्सर होते ही हैं। मैंने रेलवे की वेबसाइट पर अपना अकाउंट खोला। वहां तसल्ली से उस रूट की सभी ट्रेनों में सीटों की उपलब्धता देखी और रूट बदलकर जाने के भी विकल्पों की भी बिना किसी परेशानी के जानकारी ली। इसमें एक अन्य वेबसाइट www.erail.in से भी काफी मदद मिली। हां, बदले में आईसीआरटीसी सरविस चार्ज चुकाना पड़ा, लेकिन यह जेब पर विशेष भारी नहीं रहा।
मैं न तो रेलवे का मुलाजिम हूं कि उसकी तरफदारी करूं, लेकिन इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि आज हममें से अधिकतर कम्प्यूटर लिट्रेट हैं, ई-मेल और अन्य वेबसाइटों की जानकारी के लिए नेट सरफिंग करते ही हैं। आम तौर पर शहर में हम जहां रह रहे होते हैं, जरूरी नहीं कि रेलवे रिजरवेशन काउंटर आसपास हो। ऐसे में कई किलोमीटर की यात्रा तय करके घंटों लाइन में खड़े रहने और उसके बाद भी गंतव्य का आरक्षित टिकट नहीं मिलने पर निराश होकर लौटने से अच्छा है कि www.irctc.co.in पर अपना अकाउंट खोलकर आसानी से टिकट ले लिया जाए। यह सेवा सुबह पांच बजे से देर रात्रि साढ़े ११ बजे तक उपलब्ध रहती है। इस तरह सुबह आठ बजे रेलवे के आरक्षण काउंटर खुलने से पहले और रात्रि आठ बजे (कई आरक्षण केंद्रों पर अब रात्रि 10 बजे तक भी काउंटर खुले रहते हैं) के बाद भी टिकट बुक कराए जा सकते हैं और कैंसिल भी। इस तरह इस तकनीक का लाभ उठाने में कोई हर्ज मुझे नहीं लगता। संभव है हमारे कई साथियों को इसकी जानकारी हो और वे इसका लाभ उठा भी रहे होंगे, लेकिन महज अल्पज्ञतावश अपना अनुभव शेयर करना चाहता हूं। तो यह है अरजी मेरी आगे मरजी आपकी।

4 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छी जानकारी दी..हम उपयोग कर चुके इसका जब भारत में थे. :)

sudhakar soni,cartoonist said...

manglamji achhi jankari hai.par kripya website ka naam sahi kar lk len.ye www.irctc.co.in
hai.

manglam said...

सुधाकरजी, भूल पर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। अब इसे ठीक कर दिया गया है।

biharsamajsangathan.org said...

Manglamji Achhi Jankari hai.

Thanks

Suresh Pandit
Email: biharsamajsangathan@gmail.com
www.biharsamajsangathan.org