बिहार में 15 साल के शासन के दौरान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव कोई ऐसी उपलब्धि हासिल नहीं कर सके, जिससे उनका नाम हो। हां, उनके मसखरेपन और मीडिया के लालूप्रेम ने उन्हें समाचारों में जरूर बनाए रखा। इसके अलावा उन दिनों लालू को लेकर कहीं बात होती थी तो बस बिहार के पिछड़ते जाने की। रेलमंत्री बनने के बाद लालू यादव को मैनेजमेंट गुरु और न जाने किन-किन विशेषणों से विभूषित किया जाने लगा। लगातार रेल भाड़ा न बढ़ाकर भी उन्होंने आम जनता की सहानुभूति बटोरने में सफलता हासिल की। हालांकि भारतीय रेलवे यदि यात्रियों को बिना किसी परेशानी के गंतव्य पर पहुंचाने का वादा करे तो उन्हें किराये में पांच-दस रुपए की बढ़ोतरी कभी नहीं खलेगी। लालू यादव ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए किराया तो नहीं बढ़ाया, लेकिन कभी सुपरफास्ट के नाम पर तो कभी टिकट कैंसिल करने का शुल्क बढ़ाकर यात्रियों की जेब काटने में कसर नहीं छोड़ी। रेलवे आरक्षण की तिथि 60 दिन से बढ़ाकर 90 दिन करने का फैसला भी वास्तविक यात्रियों की बजाय दलालों के लिए ही लाभप्रद है। खैर, इन परेशानियों से तो हम सभी किस्तों में रू-ब-रू होते ही रहते हैं, लालू के शातिर दिमाग ने रेलवे कोचों में बर्थ की संख्या 72 से 81 करके तो कमाल ही कर दिया। कोच की लंबाई नहीं बढ़ाई फिर भी बर्थ बढ़ गए। इसका खमियाजा तो यात्रियों को तब भुगतना पड़ता है, जब उन्हें सिमट-सिमट कर हजारों किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है या फिर एक यात्री के माथे पर दूसरे यात्री का बर्थ झूलता नजर आता है और वे अपनी कमर सीधी नहीं कर पाते।
उरदू का ज्ञान जरूरी
पटना से अजमेर से के लिए साप्ताहिक ट्रेन बुधवार को रवाना होती है। मैंने जब इस ट्रेन का टिकट खरीदा तो इस पर `इबादत´ एक्सप्रेस लिखा था। जब ट्रेन पकड़ने आया तो ट्रेन पर कहीं `इबादत´ एक्सप्रेस का नामो-निशान नहीं था। हर डिब्बे पर `जियारत´ एक्सप्रेस लिखा था। अब आप इस ट्रेन से अजमेर में मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत करने जाएं या इबादत के इरादे से सफर करें या फिर `कर्म ही पूजा है´ के सिद्धांत पर अमल करते हुए अपने काम के सिलसिले में यात्रा करें, आपको उरदू के समान अर्थ वाले शब्दों की जानकारी जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि आप इबादत एक्सपे्रस का इंतजार करते रहें और प्लेटफॉर्म से आपके देखते-देखते जियारत एक्सप्रेस एक-दो-तीन हो जाए।
5 comments:
baap re
IBAADAT aur JIYARAT
ka lafda
pata nahi ab tak kitno ki nikal chuki hogi.
vese apni barmer-delhi intercity ka naam bhi aajkal malini exp kar diya hai aur tikat per intercity hi rahta hai
बिहार की जनता लालू को अपना हीरो मानती है.
laloo ki icha hai wo to pooja express ko bhi ibadat express kar sakte hain,
neta ko to vote se matlab hai, jahan faayada dikhega usiki bhasha bolne lagenge
saheb neta aur abhineta....dono ki baat ka kya bura manoge??? kuch asar ho tab na
Laloo ki icha hai ki sabhi train ki naaam change ho. Kuch asar ho tab na.
Regards
Suresh pandit
Post a Comment