तत्काल कोटे में दलाली रोकने के लिए नियमों में संशोधन के साथ मॉनिटरिंग भी है जरूरी मोहन कुमार मंगलम्रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की तत्काल कोटे में रिजर्वेशन के नियमों में परिवर्तन की घोषणा स्वागतयोग्य है। कई बार अपरिहार्य कारणों से बहुत ही कम समय में रेलयात्रा की योजना बनानी पड़ती है। ऐसे यात्रियों की सुविधा के लिए ही तत्काल कोटा शुरू किया गया था, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आम आदमी की सुविधा के लिए जो नियम-कानून बनाए जाते हैं, उसका लाभ अवांछित लोग उठाने लगते हैं।
शुरुआत में पांच दिन पहले तत्काल टिकट लेने का नियम था, लेकिन टिकटों की कालाबाजारी की काफी शिकायतें मिलने के बाद वर्ष 2009 में इसे घटाकर दो दिन कर दिया गया था। इसके बावजूद बड़े पैमाने पर टिकटों की कालाबाजारी जारी रही। इसके मद्देनजर पिछले दिनों देशभर में सीबीआई ने छापेमारी भी की थी। इसमें सामने आया था कि एजेंट समय से पहले ही बुकिंग करा लेते थे और फिर वे इन टिकटों की कालाबाजारी करते थे। इसमें रेलवे काउंटर पर बैठे कर्मचारियों की मिलीभगत की बात भी सामने आई थी। नए नियमों के अनुसार तत्काल कोटे में टिकट अब दो दिन की बजाय एक दिन पहले ही बुक करवाए जा सकेंगे और टिकट लेते समय आईडी प्रूफ दिखाना जरूरी होगा। इसके साथ ही रेलवे काउंटरों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी घोषणा की गई है, जिससे दलालों के साथ ही इस घालमेल में लिप्त रेलकर्मियों के चेहरे भी सामने आ सकेंगे। कन्फर्म तत्काल टिकट कैंसिल कराने पर रिफंड नहीं मिलने से भी दलाल हतोत्साहित होंगे।
(जयपुर से छपने वाले हिंदी दैनिक डेली न्यूज में 15 नवंबर को संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित)
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