...अरे ये क्या....आप तो कुछ और ही सोचने लगे। मैं ब्लॉग की दुनिया में अभी-अभी तो आपसे जुड़ा हूं और अभी आपसे बहुत सारी बातें करनी हैं। आप ब्लॉगसॅ की भावनाओं के समंदर में उतरना है। ऐसे में मैं कहां जाऊंगा आपको छोड़कर। मैं तो जिक्र कर रहा हूं पिंकसिटी के जवाहर कला केंद्र में चल रहे सांस्कृतिक उत्सव---लोकरंग २००७---का। सुदूर पूरब-उत्तर के मणिपुर, मेघालय, सिक्किम से लेकर पश्चिम में गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, दक्षिण में आंध्र प्रदेश, करनाटक, उड़ीसा, मेजबान राजस्थान, पड़ोसी पंजाब-हरियाणा, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के लगभग डेढ़ हजार कलाकारों ने लगातार ग्यारह दिनों तक अपने-अपने प्रदेशों की संस्कृति का रंग जब बिखेरा, तो दशॅक उसमें रंग से गए। जवाहर कला केंद्र के प्रशासनिक अधिकारी राजीव आचायॅ ने अपने नित नूतन परिधान औऱ शब्दों की जादूगरी से अमिट छाप छोड़ी।
इसके अलावा केंद्र के शिल्पग्राम में लगे शिल्प मेले में २२ प्रांतों के शिल्पियों ने अपनी बेजोड़ कलाकृतियां सजाईं। फूड स्टॉल्स पर भी विभिन्न राज्यों के चटपटे व्यंजनों का भी लोगों ने खूब लुत्फ उठाया।
सोमवार को ग्रांड फिनाले के साथ लोकरंग का समापन हुआ और अगले वषॅ फिर अक्टूबर-नवंबर में मिलने के वादे के साथ सभी कलाकार दीपावली मनाने अपने घरों को रवाना हो गए। तो इंतजार करें एक और ---लोकरंग---का।
5 comments:
Dear sir
Many many thanks.
Suresh Pandit, Jaipur
E mail: biharssangathan@yahoo.com
Thank you Mangal ji
visist to me Jaipur via blog
चलिये आपको लोगों को कहने की भी इच्छा हुई।
और भी ऐसी रिपोर्टों का इन्तज़ार रहेगा।
कहां चल दिए
सामने तो आओ
चलो चले जाओ
पर इतना तो
बतलाओ कि
दूर दिलों से
जाना चाहोगे
या जा पाओगे।
करिये इन्तजार एक और लोकरंग का, फिर दिजियेगा ऐसी ही रपट..अभी तो हम चलते हैं.
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