भारतीय समाज में कारतिक महीने को जो गौरव प्राप्त है, वह दूसरे महीनों को नहीं है। इस पूरे महीने में विभिन्न धारमिक आयोजन-प्रयोजन होते रहते हैं। कारतिक पूरणिमा पर गंगा और गंडक के संगम पर हाजीपुर में भारी मेला भरता है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां इस पावन संगम में डुबकी लगाने आते हैं।
पौराणिक आख्यानों के अनुसार, दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले वैशाली जिले की इस धरती ने शक्ति पर भक्ति की विजय का संदेश दिया था। जी हां, आप जब हाजीपुर जंक्शन पर उतरेंगे, तो इसके बाहर आपको भगवान विष्णु द्वारा ग्राह से गज को बचाने वाली प्रतिमाएं दिखेंगी। ऐसी मान्यता है कि विष्णुभक्त गज जब गंडक में अपनी प्यास बुझाने गया, तो ग्राह ने उसका पैर अपने जबड़ों में भींच लिया। गज की गुहार पर भगवान विष्णु आए और उन्होंने ग्राह को मारकर गज के प्राण बचाए। शक्ति पर भक्ति की इसी विजय के कारण इस स्थान विशेष का नाम--कौनहारा--पड़ा। आज भी कारतिक पूरणिमा पर हजारों-हजार श्रद्धालु कौनहारा घाट पर गंडक में स्नान करते हैं और ईश्वर की कृपा की कामना करते हैं।
गंडक के पार सोनपुर में एक मंदिर है, जिसमें एक साथ भगवान विष्णु और शिव की पूजा होती है। इसे हरिहरक्षेत्र कहा जाता है, और लोकभाषा में यही अपभ्रंश होकर --छत्तर मेला-- भी कहलाता है। यह मेला एशिया में ही नहीं, विश्व में अपना स्थान रखता है। उन्नत नस्लों की गाय-भैंस, हाथी-घोड़े, ऊंट और दूसरे पशु-पक्षी एक माह तक इस मेले की शोभा बढ़ाते हैं। केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियों का बखान करने वाली प्रदशॅनियां मेले में आने वालों को सम्मोहित करने की कोशिश में जुटी रहती हैं। मेले में दिनभर घूमने से होने वाली थकान शाम को तब काफूर हो जाती है, जब यहां लगे थियेटर के तम्बुओं में लोकगीतों और फिल्मी गानाओं पर बालाओं के कदम थिरकते हैं। चूंकि यह मेला आज से शुरू होकर पूरे एक महीने तक चलेगा, तो आप भी आइए, कारतिक पूरणिमा पर संगम में डुबकी नहीं लगा पाए तो क्या हुआ, मेले का आनंद तो ले ही सकते हैं। स्वागतम्...सुस्वागतम्......
3 comments:
एक नयी जानकारी मिली। उस के लिए धन्यवाद।
नयी जानकारी के लिए धन्यवाद
Dear Publisher
This is new information.
Thanks
Suresh Pandit, Jaipur
Email:biharssangathan@yahoo.com
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