दीवाली का पवॅ अलौकिक
नव ज्योति जगमगा रही,
जन-जन का पथ आलोकित हो
यह अभिलाषा जगा रही।।
दीवाली का पवॅ सुनहरा
आतिशबाजी न्यारी-न्यारी,
देख पटाखे और फुलझड़ियां
बच्चों की गूंजे किलकारी।
यहां-वहां हर गली-मोहल्ला
जिधर देखिए उधर तैयारी,
खुशियां बांटें, नाचें गाएं
बच्चे-बूढे़ सब नर नारी।
साभारः भाई किशन
धन की देवी मां लक्षमी और बुद्धि के दाता भगवान विनायक की कृपादृष्टि आप और आपके परिजनों, मित्रजनों पर बनी रहे इन्ही शुभकामनाओं के साथ
आप सबका सुहृद
मोहन मंगलम्
3 comments:
सुन्दर रचना है।बधाई।
दिवाली मुबारक!
तो आप कविताबाजी भी कर लेते हैं
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली!
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