होठों को मुस्कान देने वाले के लिए आंखें सहसा ही नम हो गईं, जब उनके महाप्रयाण का इंटरनेट पर खबर देखी।
आज के जमाने में जब दिनानुदिन बढ़ती मुश्किलों ने मुस्कुराना भुला सा दिया है, हास्य कवि शैल चतुर्वेदी का निधन साहित्य प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति है। कई कवि सम्मेलनों में उन्हें सुनने का अवसर मिला। मुंह में बीड़ा दबाकर उनके श्रीमुख से निकलने वाले शब्द और उनकी बॉडी लैंग्वेज श्रोताओं को सारी परेशानियों को भुलाकर खुलकर ठहाके लगाने का सामान जुटा देती थी।
जिस भी कवि सम्मेलन में वे मंचासीन होते थे, अपनी विशाल काया और शब्दों की माया से छा जाते थे। अपने जीवन में दुखों को दूर कर किस प्रकार से ऊर्जा का उपयोग सही दिशा में करना चाहिए, इसकी सीख शैल जी ने अपनी कविताओं में बखूबी दी है। साहित्य के क्षेत्र में ये हमेशा अमर रहेंगे। उम्र के इस पड़ाव पर उनका हरफनमौलापन खत्म नहीं हुआ था। जिनका साहित्य से उतना लगाव नहीं था, वे भी फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों की बदौलत उनकी कला के मुरीद थे।
उनकी प्रसिद्ध कृति
--चल गई---से कुछ पंक्तियां पेश-ए-नजर कर रहा हूं
उक्त रचना में तो वे अपनी बाईं आंख के यदा-कदा फड़कने के कारण आसन्न मुसीबतों से बचते हुए कहते हैं कि ---जान बची तो लाखों पाए---लेकिन आज की तारीख में हकीकत यही है कि हम सबके प्रिय शैल जी भी काल के क्रूर हाथों से नहीं जीत पाई, मृत्यु के आगे मसखरी एक बार फिर हार गई----
.......चल गई
वैसे तो मैं शरीफ हूं, आप ही की तरह श्रीमान हूं
मगर बाईं आंख से बहुत परेशान हूं
अपने आप चलती है,
लोग समझते हैं चलाई गई है, जान-बूझकर मिलाई गई है
एक बार बचपन में, शायद सन पचपन में
क्लास में एक लड़की बैठी थी पास में
नाम था सुरेखा, उसने हमें देखा और बाईं आंख चल गई
लड़की हाय हाय कर क्लास छोड़ निकल गई
थोड़ी देर बाद, हमें है याद
प्रिंसिपल ने बुलाया, लंबा-चौड़ा लैक्चर पिलाया
हमने कहा कि जी भूल हो गई
वो बोले, ऐसा भी होता है भूल में,
शमॅ नहीं आती ऐसी गंदी हरकत करते हो स्कूल में
और इससे पहले कि हकीकत बयान करते
फिर चल गई, प्रिंसिपल को खल गई
हुआ यह परिणाम, कट गया स्कूल से नाम,
बामुश्किल तमाम, मिला एक काम
इंटरव्यू में खड़े थे,
क्यू में एक लड़की थी सामने खड़ी,
अचानक मुड़ी नजर उसकी हम पर पड़ी
और बाईं चल गई, लड़की उछल गई
दूसरे उम्मीदवार चौंके, लड़की का पक्ष लेकर भौंके
फिर क्या था, मारमार जूते-चप्पल फोड़ दी बक्कल
तब तक निकालते रहे रोष, और जब हमें आया होश
तो देखा अस्पताल में पड़े थे, डॉक्टर और नसॅ घेरे खड़े थे
हमने अपनी एक आंख खोली, तो एक नसॅ बोली-ददॅ कहां है?
हम कहां-कहां बताते, और इससे पहले कि कुछ कह पाते कि चल गई
वो बोली शमॅ नहीं आती, मोहब्बत करते हो अस्पताल में?
उनके सबके जाते ही आया वाडॅ ब्वाय,देने लगा अपनी राय
भाग जाएं चुपचाप नहीं जानते आप
बात बढ़ गई है, डॉक्टर को गढ़ गई है
केस आपका बिगड़वा देगा
न हुआ तो मरा हुआ बताकर जिंदा ही गड़वा देगा
तब रात के अंधेरे में आंखें मूंदकर
खिड़की से कूदकर भाग आए
जान बची तो लाखों पाए
2 comments:
शैल चतुर्वेदी का निधन का समाचार दिल दुखा गया. मेरी श्रृद्धांजली. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.
शैल जी खोना बहुत बड़ा नुकसान है हमारे जैसे लोगों के लिए...जो हमें हंसने का एक मौका देते थे
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