दो दिन पहले किसी मित्र से एक राज की बात पता चली कि सांप कभी भी गभवती महिला को नहीं डंसता। इस तथ्य में कितनी सच्चाई है, इससे मैं वाकिफ नहीं हूं, लेकिन इसमें छिपे संदेश ने मुझे झकझोरकर रख दिया। (यदि किसी के पास इस संबंध में वैग्यानिक प्रमाण हों तो वे मुझे बताने की कृपा करें) मैं घंटों इस पर मनन-चिंतन करता रहा। किसी नतीजे पर पहुंचना मुश्किल लगा तो सोचा कि अपने ब्लॉगिया मित्रों से इसे शेयर करूं। शायद कोई निदान निकल पाए। आज के युग में कन्या भ्रूणहत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, विग्यान के इस वरदान का बेजा इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है, क्या शहरी, क्या ग्रामीण, क्या अनपढ़, क्या बुद्धिजीवी, सभी इसी घोषित षडयंत्र में लगे रहते हैं कि अजन्मे कन्या शिशु को धरती पर नहीं आने देना है। सरकार ने इस पर प्रतिबंध के लिए कानून भी बनाए हैं, लेकिन उससे बचने और उसका तोड़ निकालने की कला में तो मनुष्य पहले से ही पाण्डित्य के साथ महारथ हासिल कर चुका है। है कोई ऐसा कानून जिसकी गलियां अपराधियों ने नहीं निकाली हों। फिर ममता की प्रतिमूरति मां ही यदि इस षडयंत्र के पीछे हो तब तो भगवान भी कन्या शिशु को मरने से नहीं बचा सकता। अब एक ऐसी बात जिसके तथ्य जीव वैग्यानिक तो अवश्य ही जानते होंगे। संसार में सबसे निरदयी प्राणी नागिन या सांपिन ही होती है। यह किंवदन्ती नहीं बल्कि वास्तविकता है कि नागिन या सांपिन अपने अंडों में से अधिकांश को खुद ही खा जाती है। यदि ऐसा न हो तो पृथ्वी पर सभी जगह सांप ही सांप हों। अब आप सोचें कि ऐसी प्रजाति का जीव भी ईश्वर की सृष्टि में कोई बाधा पहुंचाने की जुररत नहीं करता। गरभवती औरत ईश्वर के सृष्टि चक्र को ही तो आगे बढ़ाती है। तो फिर हम मनुष्य जिसे ईश्वर ने सोचने की भी शक्ति दी है, उस विधाता की सृष्टि में खलल डालने की हिमाकत क्यों करते हैं। कब हमें आएगी अक्ल जब सृष्टि का चक्र रुकने के करीब होगा। जब बेटों को बहुएं नहीं मिलेंगी और भाइयों की कलाइयां राखी के सूनी रह जाएंगी।
कितने कमरे!
6 months ago
2 comments:
वाकई चिन्ता का विषय है। लेकिन इंसान ने बिना लडकियों के जिन्दगी जीने का तोड निकाल लिया है।
देखें। http://hinditoday.blogspot.com
This is a good article.
Mamy Many Thanks & regards
Suresh Pandit
Hony. General Secretary
Bihar Samaj Sangathan
8/157, Vidyadhar Nagar,Jaipur
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