हादसों का शहर मुंबई मनसे प्रमुख राज ठाकरे के दिए सदमे से उबरने की कोशिश में ही लगा था कि इस बीच शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे ने अपनी पारटी के मुखपत्र -सामना- में फिर जहर उगल दिया। उन्होंने बड़बोले रेल मंत्री लालू यादव को अपने लेख में चुनौती देते हुए कहा कि उनमें हिम्मत है तो वे चेन्नई के मरीना बीच पर जाकर छठ पूजा मनाकर दिखाएं।
मराठियों के स्वयंभू तारणहार बाल ठाकरे को अब कौन समझाए कि छठ भगवान सूयॅ की उपासना का महापवॅ है न कि शक्ति प्रदशॅन का। बिहार (अब झारखंड भी) और पूरबी उत्तर प्रदेश के लोग संसार में जहां भी हैं, वहां चाहे कैसी भी अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थिति हो, चार दिन तक चलने वाला यह पवॅ पूरे मनोयोग और श्रद्धाभाव से मनाते ही हैं। इसमें भक्तिभाव की तो प्रबलता होती है, लेकिन शक्ति प्रदशॅन का भाव कहीं नहीं होता। हां, यह जरूर है कि जिन स्थानों पर इस पवॅ को मनाने वालों की संख्या हजारों में होती है, वहां मेले सा माहौल अवश्य उपस्थित हो जाता है। कश्मीर से कन्याकुमारी और गुवाहाटी से गंगानगर तक कारतिक महीने के शुक्ल पक्ष में षष्ठी की शाम और सप्तमी को सूरयोदय के समय पूरे देश में छठ पूजा के दौरान भगवान सूयॅ की उपासना का यह दृश्य आम होता है। देश की सीमा के बाहर काठमांडू, नेपाल के अन्य शहरों, मालदीव, फिजी, मॉरीशस और यहां तक कि लंदन-अमेरिका के शहरों में भी उपलब्ध संसाधनों के बीच इस पवॅ को मनाने वाले पूरी आस्था के साथ भगवान सूयॅ की उपासना में रत होते ही हैं। उनके पड़ोसी भी इस कायॅ में उनकी मदद अवश्य करते हैं।
तीन-चार साल पहले मेरे एक मित्र जयपुर से ट्रांसफर होकर मुंबई गए। छठ की शाम को मैंने जब उनसे मुंबई में छठ मनाने के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि यहां तो विभिन्न संगठनों की ओर से छठ व्रत करने वालों के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं और बिहार-उत्तर प्रदेश से गायक कलाकार भी बुलाए जाते हैं। भारत में चूंकि लोकतंत्र है, सो भीड़ इकट्ठी होते ही राजनेताओं में इस बात की होड़ लग जाती है कि इसे वोट में कैसे तब्दील किया जाए। इसमें छठ पूजा करने वाले लोगों का भला क्या अपराध है?
बाल ठाकरे अब शायद उम्र के इस पड़ाव पर अपनी पारटी को व्यापक जनाधार दिलाने में स्वयं को असफल पाकर ऐसे बचकाने बयान दे रहे हैं तो उनके भतीजे राज ठाकरे मीडिया में छा जाने और सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए उत्तर भारतीयों को मुंबई से भगाने का फतवा जारी करते हैं, जिसकी चहुंओर आलोचना की जा रही है। यह तो हमारे देश का दुरभाग्य है कि केंद्रीय सत्ता इस मामले में मूकदशॅक बनी हुई है। कुछ भी हो, यह सोलहो आने सच है कि चाहे कुछ भी हो जाए, न तो मानवता हारेगी और न ही छठ व्रत का आयोजन रुकेगा। हां, लालू यादव का यह बयान कि वे मुंबई में राज ठाकरे के घर में छठ पूजा मनाकर दिखाएंगे, भी अवश्य ही निंदनीय है। लालू यादव को कदापि इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए क्योंकि वे छठ व्रत के महत्व से वाकिफ हैं। छठ व्रत कदापि इन राजनेताओं की बयानबाजी के केंद्रबिंदु में नहीं होना चाहिए।
4 comments:
यह चाचा-भतीजे की आपसी लड़ाई है. इस में उत्तर भारतियों को निशाना बनाया जा रहा है। दूसरे देश की मूल समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए भी इस का उपयोग व्यवस्था कर रही है।
Dear sir
Very good.
Suresh
Dear sir
Very good.
Suresh
बॉस सांप का बच्चा सांप ही होता है लेकिन यहां उलटा है, सांप का बाप सांप ही होगा
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