
अभी पिछले शनिवार को सात-आठ घंटे के लिए पटना जाने का अवसर मिला। वैसे तो साल में एकाध बार जाना होता ही है। अमूमन जयपुर से जिस ट्रेन से जाता हूं, वह मध्य रात्रि बारह बजे बाद ही पटना पहुंचाती है। हर बार ऐसा ही होता था कि पटना के रहवासी सहयात्री भी वहां के माहौल को देखते हुए स्टेशन पर ही रात बिताने की सलाह देते थे और वे खुद भी हमारे साथ वेटिंग रूम में बैठकर ऊंघते रहते थे। इस दफा पहली बार ऐसा हुआ कि ट्रेन मध्य रात्रि साढ़े बारह बजे पटना पहुंची और स्टेशन पर रात नहीं बितानी पड़ी। अगले दिन दोपहर को मेरी ट्रेन थी, सो मुझे पटना में ही भतीजे के कमरे पर रुकना था। मां-पिताजी को गांव ले जाने के लिए छोटा भाई गाड़ी लेकर आया था। मां-पिताजी और छोटे भाई को विदा करने के बाद भतीजे के साथ मैं महेंद्रू जाने वाली ऑटो पर बैठ गया। ऑटो में दो-तीन सवारियां और बैठीं। सवारियों को गांधी मैदान, अशोक राजपथ उतारने के बाद ऑटो चालक ने हमें भी सकुशल हमारे गंतव्य पर उतार दिया। वाकई जिस पटना में रात नौ बजे राहजनी के भय से गलियां सूनी हो जाती थीं, स्टेशन के बाहर बने होटल से रात को स्टेशन आकर गाड़ी पकड़ना भी खतरे से खाली नहीं हुआ करता था, वहां आधी रात को स्टेशन से महेंद्रू तक के बिना किसी विघ्न-बाधा के छोटे से सफर ने रोमांचित कर दिया। लालू-राबड़ी के करीब पंद्रह साल के शासनकाल में कानून-व्यवस्था की जिस कदर धज्जियां उड़ी थीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसमें वाकई सुधार किया है और इसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं।
13 comments:
I am also witnessing many changes indirectly.
अच्छी बात है. पहला वाला जमाना रहता तो स्टेशन से महेन्द्रू के बीच में तो अंडी बनियाँ तक उतर लेता सब. सबसे पहले तो ऑटो वाला ही तैयार नहीं होता ले जाने के लिए.
सुन तो बहुत रहे थे नीतिश जी के सुशासन के बारे में आपका स्वानुभव पढकर बहुत अच्छा लगा ।
haan ye badlaav maine bhee apnee pichhle yaatra mein spashttah mehsoos kiyaa tha....
main bhi abhi kuch din pehle bihar gaya tha bina kuch gawaye surakshit delhi aa gya. is se pehle do bar mera saman chori ho gaya tha
Isi varsh mujhe Patna jane par bhi vahan ke logon ne aise hi tathya bataye tatha kaha ki Lootpat va gundagardi bahut kum ho gayi hai.
आपका अनुभव पढ़ कर अच्छा लगा.
लगता है बिहार सुधरने की राह पर है .....
नीतिश जी की कोशिश रंग ला रही है
jab main Patna me rahta tha tab bhi kabhi samay ki chinta nahi karta tha aur jab man me aaye tab ghoomta tha.. magar mere ghar ke log meri is aadat se bahut pareshaan rahte the..
lekin pichhle 2-3 bar se jab bhi patna jana hua tab der raat ghar lautate samay kisi ko bhi ghar me pareshaan nahi dekha.. shayad yahi naye Patna ki pahchaan ban rahi hai.. Kaash aisa hamesha hi rahe..
Aamen!!! :)
लालू जी क्या आप भी पढ़ रहे हैं जो लिखा गया है...????
नीरज
Very good post, Really we can see the changes in Bihar. I wish it should be continued for the betterment of state.
Very good post
Asi varsh mujhe v patna jane ka mauka meela. shayed yahi naye Patna ki pahchaan ban rahi hai. aisa hamesha hi rahe.
Suresh Pandit
email: biharsamajsangathan@gmail.com
www.biharsamajsangathan.org
जो बात आप ने लिखी है, वो आप भी नहीं मानते, अगर आप बिहार नहीं जाते। मुझे खुशी है कि आप बिहार गए और रात मे पटना की सड़कों पर चलने की हिम्मत जुटाई। मैं सभी से निवेदन करता हूं कि बिहार जाइए, तभी दिखेगी बिहार की बदलती छवि।
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